World Trade Organization (WTO) और International Monetary Fund (IMF) ने चिंता जताई है कि अमेरिका में औसत टैरिफ दर 20% से ज्यादा पहुंच गई है — जो कि 1910 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। ये बदलाव न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है।
US Tariffs Hit Highest Level – अमेरिका में टैरिफ इतना क्यों बढ़ा?
कई दशकों से WTO और IMF जैसे संगठनों ने देशों के बीच टैरिफ कम करने का काम किया, ताकि ग्लोबल ट्रेड आसान हो सके।
लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिका ने कई इंपोर्टेड सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू किया।
- पहले ये टैरिफ मुख्य रूप से चीन से आने वाले सामानों पर थे।
- अब कई देशों से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया गया है।
- कुछ उत्पादों पर टैरिफ 50% से भी ज्यादा है।
हालांकि, दवाओं और स्मार्टफोन जैसे आवश्यक उत्पादों पर अभी भी कम या शून्य टैरिफ है।

टैरिफ दरों का इतिहास
1900 के दशक की शुरुआत में अमेरिका में टैरिफ काफी ज्यादा थे।
- समय के साथ ये घटकर 20वीं सदी के अंत तक लगभग 3% रह गए।
- 1930 के दशक की ग्रेट डिप्रेशन के दौरान Smoot-Hawley Tariff Act ने टैरिफ बढ़ाए, जिससे आर्थिक संकट और गहरा हुआ।
इतिहास ये दिखाता है कि ज्यादा टैरिफ ग्लोबल ट्रेड और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
WTO और IMF की चेतावनी
दोनों संस्थान मानते हैं कि ज्यादा टैरिफ के खतरे गंभीर हैं:
- ग्लोबल ट्रेड पर असर: अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से बाकी देश भी बदले में टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है।
- आर्थिक विकास में गिरावट: महंगे सामान से मांग कम होगी, जिससे ग्रोथ धीमी पड़ेगी और मंदी का खतरा बढ़ेगा।
- राजनीतिक तनाव: देशों के बीच सहयोग कम हो सकता है।

आगे क्या हो सकता है?
- और ज्यादा टैरिफ: अमेरिका और देशों पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे ट्रेड वॉर तेज होगा।
- नेगोशिएशन: अमेरिका और अन्य देश टैरिफ कम करने के लिए बातचीत कर सकते हैं।
- नए ट्रेड एग्रीमेंट: अन्य देश अमेरिका को छोड़कर नए समझौते कर सकते हैं।
उपभोक्ताओं पर असर
टैरिफ एक टैक्स की तरह काम करता है। कंपनियां ये अतिरिक्त लागत ग्राहकों पर डाल सकती हैं, जिससे रोज़मर्रा की चीजें महंगी होंगी और लोगों की खर्च करने की क्षमता घटेगी।
US Tariffs Hit Highest Level – निष्कर्ष
अमेरिका में टैरिफ 100 साल से भी ज्यादा के रिकॉर्ड स्तर पर हैं। ये स्थिति न केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है। WTO और IMF चाहते हैं कि देश मिलकर टैरिफ कम करें और ग्लोबल ट्रेड को स्थिर रखें।