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Case Study: How Singapore Won the Battles Against Corruption, Housing Shortages, and Unclean Cities

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Singapore ने कैसे जीती भ्रष्टाचार, हाउसिंग और स्वच्छता की जंग — भारत के लिए सीख

भूमिका: छोटे देश की बड़ी कहानी

सिंगापुर की कहानी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। 1965 में यह एक संसाधन-विहीन, संघर्षरत द्वीप था, जो विकास के लिए कोलकाता से प्रेरणा लेता था। लेकिन आज दुनिया सिंगापुर से सीख लेती है। सवाल यह है—कैसे एक छोटा-सा देश वैश्विक शक्ति बना और भारत इससे क्या सीख सकता है?


Fighting Corruption: भ्रष्टाचार से जंग

1950 और 60 के दशक में सिंगापुर में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या थी। सरकारी अफसर कम वेतन पर काम करते थे और कई बार रिश्वत लेना आम बात थी।
आज, सिंगापुर दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में गिना जाता है।

सफलता की कुंजी:

  • 1959 में Prevention of Corruption Act को मजबूत किया गया।
  • Corrupt Practices Investigation Bureau (CPIB) की स्थापना हुई, जिसे बिना वारंट गिरफ्तारी, घर पर छापेमारी और बैंक खातों की जांच करने का अधिकार मिला।
  • सार्वजनिक अधिकारियों पर “burden of proof” लागू—यदि उनके पास संदिग्ध संपत्ति है, तो उन्हें साबित करना होगा कि यह भ्रष्टाचार से नहीं आई।

स्वतंत्रता की गारंटी:
CPIB प्रधानमंत्री सहित किसी की भी जांच कर सकता है। यदि प्रधानमंत्री जांच की अनुमति नहीं दें, तो डायरेक्टर राष्ट्रपति के पास जा सकता है। प्रधानमंत्री डायरेक्टर को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बिना नहीं हटा सकता।
2023 में एक कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी ने साबित किया कि “कानून से ऊपर कोई नहीं”।

भारत के लिए सबक:
भारत में CBI और CVC जैसी एजेंसियां हैं, लेकिन कई बार जांच के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
भारत सीख सकता है:

  • CBI डायरेक्टर की नियुक्ति से सरकार की शक्ति हटाना।
  • CBI में स्थायी रूप से भर्ती और प्रशिक्षण प्रणाली बनाना।
  • डायरेक्टर का कार्यकाल तय करना।

वेतन और प्रोत्साहन:
सिंगापुर में मंत्रियों को लगभग $1.1 मिलियन सालाना वेतन मिलता है, ताकि रिश्वत का लालच न हो।
सिविल सर्विस बोनस GDP ग्रोथ, गरीब 20% की आय वृद्धि, बेरोज़गारी दर और मीडियन इनकम पर आधारित होता है।

भारत में उपयोग:
मंत्रियों और अधिकारियों के वेतन को उनके प्रदर्शन से जोड़ा जा सकता है—जैसे स्वास्थ्य अधिकारी का वेतन वैक्सीनेशन रेट से या कलेक्टर का वेतन साक्षरता दर से।


Singapore Housing for All: सबके लिए घर

1960 के दशक में सिंगापुर की आबादी का बड़ा हिस्सा गंदगी और खराब हालात में रहता था।
1960 में Housing and Development Board (HDB) की स्थापना हुई।

तेज़ी से घर बनाना:

  • 5 साल में लगभग 45,000 घर बनाए गए।
  • अलग-अलग जरूरतों के अनुसार घर—बुज़ुर्गों के लिए स्टूडियो, अविवाहितों के लिए दो कमरे, परिवारों के लिए तीन से पाँच बेडरूम।

समाज में एकता:

  • हर HDB प्रोजेक्ट में अलग-अलग समुदायों के लिए आरक्षण।
  • सब्सिडी और पेंशन से डाउन पेमेंट की अनुमति।

99 साल की लीज़:
आज 80% से अधिक लोग HDB घरों में रहते हैं और 90% से अधिक परिवार अपने घर के मालिक हैं—लेकिन जमीन सरकार की होती है।

भारत के लिए सबक:

  • हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में जवाबदेही तय करना।
  • कंस्ट्रक्शन परमिट के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम।
  • पब्लिक हाउसिंग एजेंसियों को RERA के तहत लाना।

Cleanliness: स्वच्छता को पहचान बनाना

आज सिंगापुर अपनी साफ-सफाई के लिए जाना जाता है, लेकिन कभी यह शहर गंदगी और खुले नालों से भरा था।

Keep Singapore Clean अभियान:

  • सीवेज सिस्टम का निर्माण।
  • कचरा फेंकने पर कड़ी सज़ा।
  • नदियों और सड़कों की सफाई।
  • स्ट्रीट वेंडर्स के लिए स्वच्छ सुविधाएं।

भारत के लिए सबक:

  • कचरा फैलाने पर सख्त जुर्माना।
  • साफ-सुथरे इलाकों को पुरस्कार, गंदे इलाकों को सार्वजनिक शर्मिंदगी।
  • स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में स्वच्छता संस्कृति को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष: भारत क्या सीख सकता है

Singapore की सफलता मजबूत नेतृत्व, प्रभावी नीतियों और राष्ट्रीय संकल्प का परिणाम है।
भारत इन क्षेत्रों में सीख ले सकता है:

  1. जांच एजेंसियों को पूरी तरह स्वतंत्र बनाना।
  2. प्रदर्शन आधारित वेतन प्रणाली लागू करना।
  3. तेज़ और पारदर्शी हाउसिंग सिस्टम अपनाना।
  4. स्वच्छता को राष्ट्रीय पहचान बनाना।

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