India Approves Four New Semiconductor Factories – भारत ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए चार नए सेमीकंडक्टर प्लांट्स की मंज़ूरी दे दी है। इन प्रोजेक्ट्स में कुल लगभग ₹4,600 करोड़ (लगभग $4.6 बिलियन) का निवेश होगा। इसका उद्देश्य देश को चिप निर्माण में आत्मनिर्भर बनाना, आयात पर निर्भरता कम करना और ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।
Where the New Semiconductor Plants Will Be Built
ये चारों प्लांट अलग-अलग राज्यों में लगाए जाएंगे और हर एक का अलग फोकस होगा:
1. Odisha — दो नए चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, भुवनेश्वर
- SAC Sem Pvt Ltd — सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सेमीकंडक्टर वेफ़र्स का उत्पादन करेगा, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल, रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम और डिफेंस एप्लिकेशन में ज़रूरी हैं।
- 3D Glass Solution Inc. — एडवांस पैकेजिंग और ग्लास सब्सट्रेट्स बनाएगा, जिससे हाई-स्पीड चिप्स का परफॉर्मेंस और ड्यूरेबिलिटी बेहतर होगी।
2. Andhra Pradesh — System-in-Package (SiP) असेंबली
- ASIP Technologies और साउथ कोरिया की APAC कंपनी मिलकर कॉम्प्लेक्स मल्टी-चिप मॉड्यूल्स तैयार करेंगे, जिनका इस्तेमाल मोबाइल, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स और सेट-टॉप बॉक्स में होगा।
3. Punjab — पावर डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग, मोहाली
- Continental Device India Limited (CDIL) — MOSFETs और IGBTs का निर्माण करेगा, जो EV चार्जर्स, सोलर इन्वर्टर्स और टेलीकॉम उपकरण के लिए ज़रूरी हैं।
How This Fits into India’s Semiconductor Mission
India Approves Four New Semiconductor Factories – ये प्रोजेक्ट्स इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) का हिस्सा हैं, जिसे ₹76,000 करोड़ के बजट के साथ शुरू किया गया था।
यह नेशनल पॉलिसी ऑन इलेक्ट्रॉनिक्स 2019 और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत आते हैं, जिसका लक्ष्य भारत को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
इन मंज़ूरियों के बाद अब तक भारत में 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें कुल निवेश ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक है।
Economic & Strategic Impact
- आयात में कमी: अभी भारत 100% सेमीकंडक्टर आयात करता है। स्थानीय उत्पादन से विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
- “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” को बढ़ावा: सप्लाई चेन सुरक्षित होगी।
- रोज़गार के अवसर: 2,000 से ज़्यादा डायरेक्ट स्किल्ड जॉब्स और हज़ारों इंडायरेक्ट जॉब्स पैदा होंगी।
- टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता: महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की सप्लाई सुरक्षा मजबूत होगी।
Challenges Ahead
हालांकि मंज़ूरी मिलना बड़ी उपलब्धि है, लेकिन उत्पादन शुरू होने में 2–4 साल लग सकते हैं, क्योंकि:
- कैपिटल कॉस्ट बहुत ज़्यादा है।
- ग्लोबल इक्विपमेंट शॉर्टेज से सेटअप में देरी हो सकती है।
- स्किल गैप — सेमीकंडक्टर इंजीनियरिंग में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत — बेहतर पानी, स्थिर बिजली और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।
Future Outlook
जब ये प्लांट चालू होंगे, तब भारत की EV, रिन्यूएबल एनर्जी, टेलीकॉम और डिफेंस इंडस्ट्री की सप्लाई चेन मजबूत होगी। साथ ही, भारत सेमीकंडक्टर का बड़ा एक्सपोर्टर भी बन सकता है।
निष्कर्ष: India Approves Four New Semiconductor Factories
चार नए सेमीकंडक्टर प्लांट्स की मंज़ूरी सिर्फ इंडस्ट्रियल पॉलिसी का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक आत्मनिर्भरता, टेक्नोलॉजिकल लीडरशिप और ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो भारत जल्द ही ग्लोबल सेमीकंडक्टर रेस में एक मजबूत खिलाड़ी बन सकता है।